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रवींद्र वायकर की सांसद पद पर संकट: मुंबई हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

11, December 2024


मुंबई,मुंबई उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट पर छह महीने पहले हुए चुनाव में कड़ी टक्कर देखने को मिली थी। इस चुनाव में शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के उम्मीदवार रवींद्र वायकर ने शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के अमोल कीर्तिकर को महज 48 वोटों के अंतर से हराया था। वायकर को 4,52,644 वोट मिले थे, जबकि कीर्तिकर को 4,52,596 वोट मिले थे।


हार के बाद अमोल कीर्तिकर ने चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने मांग की थी कि रवींद्र वायकर को सांसद पद से अयोग्य ठहराया जाए।


मुंबई हाईकोर्ट के न्यायाधीश संदीप मारने ने इस मामले की सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई के दौरान कीर्तिकर के वकीलों प्रदीप पाटिल और अमित कारंडे ने दावा किया कि चुनाव में 333 निविदा वोट (चुनावी विवादित वोट) दर्ज हुए थे, जिनमें से 120 वोटों की गिनती ही नहीं की गई।


जब कोई मतदाता पोलिंग बूथ पर जाकर यह पाता है कि उसके नाम पर पहले ही वोट डाला जा चुका है, तो उसे 17-बी फॉर्म भरकर वोट डालने की अनुमति दी जाती है। ऐसे वोटों को निविदा वोट कहा जाता है।


कीर्तिकर के वकीलों ने यह भी आरोप लगाया कि,


• गिनती के समय 120 निविदा वोटों की गिनती नहीं की गई।


• कीर्तिकर के प्रतिनिधियों को मतगणना केंद्र में बैठने नहीं दिया गया।


• मतगणना केंद्र में मोबाइल फोन का इस्तेमाल हुआ, जो नियमों का उल्लंघन है।


• शिकायत दर्ज कराने के 12 दिनों तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।


रवींद्र वायकर की ओर से पेश वकील अनिल साखरे ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा,


"याचिका में कोई ठोस आधार नहीं है। याचिकाकर्ता ने यह साबित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं दिया कि निविदा वोट विजयी उम्मीदवार को गलत तरीके से दिए गए। ऐसे में कोर्ट को इस याचिका को खारिज करने का अधिकार है।"


अब यह देखना होगा कि हाईकोर्ट का फैसला इस चुनावी विवाद पर क्या रुख अपनाता है। फैसला रवींद्र वायकर के पक्ष में होता है या कीर्तिकर के दावे को सही ठहराता है, यह राजनीतिक हलकों में चर्चा का बड़ा मुद्दा बन गया है।

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