मुंबई 3 ऑक्टोबर 2024,केंद्र सरकार ने आज मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा देने की घोषणा की है, जिससे यह देश की छठी अभिजात भाषा बन गई है। इससे पहले संस्कृत, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, और ओड़िया को यह सम्मान प्राप्त था। मराठी भाषा की प्राचीनता, साहित्यिक धरोहर और स्वतंत्र साहित्यिक परंपरा को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। अभिजात भाषा का दर्जा उस भाषा को मिलता है जो प्राचीनता, साहित्यिक धरोहर और अद्वितीय साहित्यिक परंपरा की धनी हो।
इस मान्यता के तहत केंद्र सरकार उन भाषाओं के संरक्षण, संवर्धन और अध्ययन के लिए विशेष अनुदान और योजनाओं को बढ़ावा देती है। मराठी भाषा की समृद्ध साहित्यिक धरोहर और इसका ऐतिहासिक महत्व इसे इस प्रतिष्ठित श्रेणी में लाता है।सरकार ने बताया कि अभिजात भाषा का दर्जा पाने के लिए कुछ सख्त मानदंड होते हैं। भाषा का प्राचीन और आधुनिक रूप में अस्तित्व होना, समृद्ध साहित्यिक धरोहर का होना, और स्वतंत्र साहित्यिक परंपरा का होना आवश्यक है। इन मानदंडों को पूरा करने वाली भाषाओं को केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिससे भाषा, साहित्य, और सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण और संवर्धन किया जा सके।
मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा मिलने के बाद इसके साहित्य, संस्कृति और इतिहास के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार की ओर से विशेष अनुदान और योजनाएं लागू होंगी। यह कदम मराठी भाषा के प्रचार-प्रसार में मील का पत्थर साबित होगा और इसके अध्ययन और अनुसंधान को और प्रोत्साहन मिलेगा।
सरकार का उद्देश्य इन भाषाओं की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को सहेजते हुए भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित करना है।